Jul 19, 2011

संज्ञा नहीं ‘‘विशेषण’’ हैं सचिन






अमित कुमार



सचिन तंेदुलकर किसी सम्मान के मोहताज नहीं, ये बात सिर्फ भारतवासी ही नहीं, दुनिया जानती है। ऐसे में सचिन तंेदुलकर को भारत रत्न से सम्मानित करने के नाम पर राजनीति समझ से परे है। ये बताना यहां जरूरी है कि भारत रत्न देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। इस पुरस्कार से आजादी के बाद अब तक 41 विभूतियों को सम्मानित भी किया जा चुका है। ऐसे में तंेदुलकर को यह पुरस्कार देने के नाम पर राजनीति आखिर क्यों हो रही है। बात साफ है कि कहीं न कहीं सचिन के जरिये सियासत चमकाने का खेल चल रहा है। इस खेल में कोई भी सियासी दल पीछे नहीं रहना चाहता।
एक दौर था, जब राजनीति के जरिये लोकप्रियता का पैमाना तय हुआ करता था। अब ये इतिहास का हिस्सा है, और ये हाल दुनिया के सबसे बडे लेाकतांत्रिक देश का है। सवाल ये है कि आखिर लोकतंत्र में ही आम आदमी का तंत्र पर से भरोसा क्यों उठ गया। इस पर बात दूसरे लेख में करेंगें। लेकिन सचिन रमेश तेंदुलकर को भारत रत्न से नवाज़ा जाना चाहिए, इसके लिए इन दिनों बडे़ बड़े अभियान चल रहे हैं। नेता से लेकर अभिनेता तक और मीडिया से लेकर खिलाड़ी तक, हर कोई उनको भारत रत्न का असली दावेदार बता रहा है। दावा ऐसे पेश किया जा रहा है जैसे सचिन तंेेदुलकर की गरिमा इस रत्न को पाकर रातों रात बढ़ जायेगी।
लेकिन मेरा राय इन सभी से इतर है। ऐसे भी इस पुरस्कार पाने के लिए जो तय मापदंड है वो सभी मापदंड को पूरा करने वाला शख्स सचिन रमेेश तेंदुलकर से बेहतर भला और कौन हो सकता है। गांधी के बाद पहली बार इस मुल्क में एक ऐसा शख्स है जो अपने खेल कौशल के साथ साथ अपनी शालीनता व व्यवहार कुशलता से तिरंगे की शान को और ऊंचा उठाया है। जो इंसान खुद को पहले भारतवासी कहलाना पसंद करता हो, फिर किसी सम्मान को गले लगाता हो, उसे भारत रत्न देने में देर कर इस सम्मान के महत्व को फीका नहीं किया जा रहा, तो फिर क्या किया जा रहा है।
इस सम्मान की गरिमा को बनाय रखने के लिए जितनी जल्दी हो सके सचिन के साथ इसका नाम जोड दिया जाए। वरना, इतिहास इस देश केा कभी माफ नहीं करेगा। ठीक उसी तरह जिस तरह नोवेल कमेटी गांधी को सम्मानित न कर, अब तक पछता रहा है। कहीं ऐसा ना हो कि इस देश की गंदी सियासत की वज़ह से भारत रत्न की भी गरिमा धूमिल पड़ जाए। और मुल्क का हर नागरिक इस शोक से उबर ना पाए कि सचिन ने पहली बार हमसे कुछ मांगा और 125 करोड लेाग मिलकर भी सचिन को सम्मान के लिए तरसा दिया। जिस सचिन ने दुनिया के हर कोने में हमें सम्मानित किया, हमें भारतीय होने के गर्व का एहसास कराया। उसी सचिन के लिए हम इतना भी नहीं कर सके। इसलिए वक्त रहते उन्हें इससे नवाज़ना हमारे लिए कम शान की बात नहीं होगी। ऐसे भी क्रिकेट के खुदा ने पहली बार देश से कुछ मांगा है तेा क्या हम इस देवता की भावना को आहत करेंगे। वो भी तब जब विश्व कप क्रिकेट का बुखार इन दिनों देश के हर कोने में सिर चढ़कर बोल रहा है। जरा सोचिए... लेखक एएनआई में पत्रकार हैं

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