Jul 19, 2011

तेंदुलकर का करिश्मा




दुनिया की आधी आबादी जिसकी मुरीद हो, उसे किसी एक नाम से नमाज़ा जाए तो थोडी बेमानी होगी। सचिन तेंदुलकर का ओहदा भारत में ही नहीं, दुनिया भर में कुछ ऐसा ही है। यही वज़ह है कि आज उन्हंे कोई देवता कहता है, तो कोई सुपरमैन। आखि़र इस रूतबे की वज़ह भी है। जिसके सपने के साथ कोई मुल्क सोता और जागता हो, उसे देवता नहीं कहें, अवतार नहीं कहें तो फिर क्या कहें! जिसकी हर अदा पर 125 करोड़ की आबादी थिरकती हो, जिसके बल्ले के सुर और ताल से इंसान रोमांच में डूब जाता हो, उसे अगर खु़दा ना कहें, तो क्या कहें!

वैसे भी आज तक किसी ने भगवान को देखा नहीं है। लेकिन भगवान को भगवान की उपाधि इसलिए मिली कि वो चमत्कार करते थे। ये अलग बात है कि उस चमत्कार को करते किसी ने नही देखा। हां, हम किताबों के जरिये या फिर किस्से कहानियों के जरिये उस चमत्कार को सुनते आ रहे हैं। जिसे पौराणिक जमाने के भगवान ने अंजाम दिया। लेकिन आधुनिक युग के देवता पिछले 20 सालांे से 22 गज के दायरे में जिस चमत्कार को अंजाम दे रहे हंै। उसे दुनिया की आधी आबादी सजीव देख रही है। ये कोई हीरो की तरह रिटेक के बाद पर्दे पर दिखाया गया सीन नहीं, कोई स्टंट नहीं, बल्कि बिना रिटेक के सजीव चमत्कार है। जिसे खुली आंखों से टेलीविजन सेट के जरिये पूरी दुनिया आए दिन देख रही है।

सचिन तंेदुलकर के बल्ले से निकला हर शाॅट अलग सुकून का एहसास कराता है। ऐसा सुकून जो ना तो कोई गीत संगीत दे सकता है और ना कोई दूसरे मनोरंजन के साधन। सचिन के जरिये हासिल सुकून कुछ ऐसा है, जिसे जितनी बार देखें, उतनी बार अलग तरह का रोमांच पैदा करता है, जो पिछले रोमांच को फीका कर देता है। उनके बल्लेे से निकला धुन मन को ऐसे झंझोर देता है मानो आप किसी रहस्य और रोमांच की दुनिया में खुद को गोता लगा रहे हो। सचिन के लिए मुल्क, सरहद बेमानी है। दुनिया में सचिन तंेदुलकर ही ऐसे शख़्स हंै जिनकी मुरीद इतनी बड़ी आबादी है।

दुनिया के कई देश ऐसे हैं जहां लोग भारत के बारे में जानते तक नहीं थे लेकिन यह सचिन का ही चमत्कार है कि भारत को आज उन्हीं के नाम के साथ जाना जाने लगा है, क्यांेकि सचिन के जरिये ही मुल्क में क्रिकेट की दीवानगी परवान चढ़ी। आज आलम यह है कि क्रिकेट के जरिये सचिन की पहचान नहीं है बल्कि सचिन के जरिये क्रिकेट परवान चढ़ रहा है। ऐसा भी नहीं है कि क्रिकेट की लोकप्रियता पहले नहीं थी। क्रिकेट पहले भी लोकप्रिय था। लेकिन इस खेल को दीवानगी में ढ़ालने का श्रेय सचिन रमेश तंेदुलकर को जाता है। दुनिया भर के हर मैदान पर सचिन के बल्ले ने वो सुर छेड़ा जिसकी मध्ुार ध्वनि हजारों किलोमीटर दूर बैठे लेागों को मोहित कर रही है। ग्वालियर तो सचिन की आस्था का महज़ एक पड़ाव है। सचिन के 20 वर्ष के सफर में कई मैदान पड़ाव बने हैं, जहां उनकी आग की तपिश से विरोधी टीम जल कर ख़ाक हो गयी।

गंेद और बल्लेे का ऐसा संगम सचिन के जरिये ही दुनिया को देखने को मिल रहा है। लेाग कहते हैं कि डाॅन ब्रेडमैन के बाद सचिन का नाम आता है, क्यांेकि ब्रेडमैन का मैच औसत 99 .9 का है। लेकिन मैं कहता हूं कि सचिन, ब्रेडमैन से मीलों आगे हैं। आकड़ो को भूल जाइये। ज़रा इस हक़ीकत पर ग़ौर फरमाइये। ब्रेडमैन साहब आॅस्ट्रेलिया के लिए खेला करते थे, वो भी साल 1930 के दशक में, लेकिन सचिन रमेश तेंदुलकर मौजूदा दौर में खेलते हंै। उस और इस के बीच का फ़र्क बहुत बड़ा है। ब्रेडमैन साहब जब मैदान पर खेलने उतरते थे, तो उनके कंधो पर बोझ नहीं होता था। लेकिन जब सचिन मैदान पर उतरते हंै तो उनके कंधे बोझ से दबे होते हैं। सवा सौ करोड़ की आबादी का बोझ लेकर मैदान पर उतरना और उस उम्मीद को जीत में बदलने का दबाव किसी माउंटएवरेस्ट पर चढ़ने से कहीं ज़्यादा मुश्किल भरा है। लेकिन सचिन ये काम हर दिन करते हैं। चाहे मैदान भारत का हो या फिर दूसरे देश का। इतनी बड़ी आबादी की भावनाओं को अंजाम देने का नाम सचिन रमेश तेंदुलकर है। ये बोझ वो आज से नहीं, महज़ 16 साल की उम्र से ढ़ो रहे हैं। आम इंसान का कंधा 10 किलो का बोझ उठाते ही झुुक जाता है लेकिन सचिन का कंधा ऐसा है जो 20 सालों से इस बोझ को ढोए जा रहा है। वो भी बिना थके हुए।

यही काम पौराणिक युग के भगवान ने किया, जिसे इस पीढ़ी ने नहीं देखा, लेकिन हम खुशनसीब हैं कि ये सब कुछ होते हुए देख रहे हंै। इस दौर में भारतीय बनकर सचिन के साथ के साथ जीने का गर्व एक अलग सुकून दे रहा है। भारतवासी इस एहसास में ही झूम रहे हैं कि हम सचिन के देश के वाहक है। दुनिया के लिए सचिन एक क्रिकेट खिलाड़ी हैं, लेकिन हमारे लिए भगवान। ये दर्जा उन्हें यंू ही नहीं मिला है। इसे हासिल करने के लिए उन्होंने दुनिया के हर कोने में हमारे तिंरगे के लिए गदर किया है। तिरंगे की शान को ऊंचा उठाया है। असंभव को संभव किया है और वो भी किसी की भावनाओं केा ठेस पहंचाने की बजाए अपने खेल कौशल से। दिल जीतकर विरोधी टीम को पटकनी दी है। ये काम कोई इंसान आखि़र कर कैसे सकता है। हम सचिन को भगवान ना कहें तो क्या कहें। फेैसला आप कीजिए। आपका फेसला आपके साथ।
अमित कुमार

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