Aug 1, 2011

खतरे में टीम इंडिया का ताज और लाज



टीम इंडिया नाॅटिंधम में हार के कगार पर खड़ी है, वो भी पहली पारी में बढ़त लेने के बाद । ऐसे में टीम इंडिया की करनी और धरनी दोनो पर सवाल उठ रहे है तो इसमें गलत क्या है! जिस पीच पर पहली पारी में इंग्लिश बल्लेबाज धुटने टेक दिए, वही खिलाड़ी दूसरी पारी में भारतीय टीम के पसीने छुड़ा रहे है।टीम इंडिया की हालात कितनी पतली है इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते है कि अंग्रेजों ने तीसरे दिन 417 रन ठोक डाले और वो भी उस पीच पर जिस पर रन बनाना मुश्किल लग रहा था।दरअसल जीती हुयी बाजी को हार में बदलने का तौर तरीका अगर किसी को सिखना हो तो, कोई धौनी के धुरंधर से सीखे। जो टीम पहले दो दिनों तक अंग्रजो पर भारी पर रही थी, वही टीम अपनी करनी की वजह से हार के चैराहे पर खड़ी है।

इसके लिए जितने बड़े अपराधी हमारे गंेदबाज है उससे कम हमारे बल्लेबाज नहीं है।बात पहले गेंदबाजों की कर ले। पहली पारी में इंग्लिश बल्लेबाज कैसे भारतीय गंेदबाजों के पल्ले पड़ बैठे, ये तो खुद भी हमारे गंेदबाजों केा भी भरोसा नहीं हो रहा था।अब गलती तो गलती ठहरी, और इसे बार बार तो दुहराया नहीं जा सकता, सो रही सही कसर इस इनिंग में अंग्रेजों ने निकाल दी। कहां गए श्रीशांत के स्पीड और इशांत के स्विंग । प्रवीण कुमार का तो कहना ही क्या, अच्छा लाईन लेंथ होने के बावजूद रतार ऐसी की, कोई भी बच्चा उनके गेदों पर चैके और छक्के बरसा सकता है।जिस पर नहीं पड़ रहे उसे बल्लेबाजों का रहमोकरम मानिये। भज्जी केा तो देश के लिए खेलने से ज्यादा मजा शराब के कारोबार में दुनिया के कई देशों में दखल रखने वाले विजय माल्या से पंगा लेना में आता है।

अपने बल्लेबाजी का तो कहना ही क्या। मौजूदा पीढ़ी जब से बड़ी हुयी यही सुनती आ रही है कि भारतीय बल्लेवाजी तो दुनिया की सबसे मजबूत बल्लेवाजी है।लेकिन पता नहीं क्रिकेट के धुरंधर किस खुशफहमी के शिकार होकर हमारे महान खिलाडि़यों केा सर्वश्रेष्ठ के तमगे से नवाजती है! पिछले 25 सालो में हम इंग्लैंड को इंग्लैंड में नहीं हरा पाए है।तकरीबन यही हाल आस्ट्रेलिया से लेकर न्यूजीलैंड और दझिण अफ्रीका तक है। ऐसे में हम भारतवासी किस खुशफहमी में अपने सचिन,द्रविड़,लक्ष्मण ,सहवाग और धौनी केा बड़ा खिलाड़ी मान बैठे! इसका जबाव तो हमे ही देना पडेगा।जिस आस्ट्रेलिया केा नंबर वन की ताज से बेदखल होने में एक या दो साल नहीं, पुरा एक दशक लग गया।लेकिन हम है कि यह ताज साल भर से ज्यादा नहीं सहेज पाए।साल भर इसलिए बरकरार रहा कि हम अच्छा खेले, बल्कि इसलिए कि विरोधी टीम का प्रर्दशन इस दौरान अच्छा नहीं रहा।

जिस तरह अंग्रेज हमे एक मैच में पीटने के बाद खुद को स्वधोषित नंबर वन बन बैठे इसके लिए वो कम और हम ज्यादा जिम्मंेंदार है। जो इतनें सालों के नाकामी के बाद भी 125 करोड़ लोगों के सर से धौनी के धुरंघर के प्रति कायम खुमारपन उतरनें का नाम नहीं ले रहा।भला हो हमारी टीम इंडिया और धौनी का!


1 comment:

singh said...

beautiful description of TEAM INDIA'S failure. good one.