Aug 3, 2011

हार पर हाहाकार क्यों?



टीम इंडिया की नाॅटिंघम में इंग्लैंड के हाथों बुरी तरह लुटने पीटने के बाद टीम के प्रशंसक सदमें है।ऐसा मानों जैसे पहली बार टीम इंडिया ने देश की ताज और लाज को मटियामेंट कर दिया हो। भला हो हमारे क्रिकेट प्रशंसको का, जो टीम के हार से इनते तिलमिलायें हुए है। अरे भाई ! कोई पहली बार तो हम हारे नहीं हैं जो आपलोग इतने गुस्से में है।

जनाब सुनील मनोहर गवास्कर साहब को रातो रात भारतीय क्रिकेट टीम मंे चैंपियन वाले जलवे नहीं दिख रहे। अब गवास्कर साहब करे भी तो क्या करे।उनकी रोजी रोटी तो कमेंट्री के जरिये चलती है।वो अपने क्रिकेट कैरियर में उतने पैसे नहीं कमाये जिनते आजकल कमेंट्री के जरिये कमा रहे है। तो वो टीम की अलोचना न करे तो करे क्या। अब गवास्कर साहब को कोई याद तो दिलाये कि जब आप खेलते थे, तो कौन सा देश की शान में चार चांद लगा दिये थे।आपकी टीम कहां आस्ट्रेलिया की बादशाहत को चुनौती दे पायी। और रही मौजूदा टीम की बात तो घर में जीत के दम पर ही सही कमसे कम आस्ट्रेलिया से उॅपर अपने नाक को साल भर तो रखा ! क्या यही कम है।

अरे भाई टीम की हार पर धडि़याली आंसू क्यों। भाई आपन की टीम के हारने का लंबा चैड़ा रिकार्ड है। हम कही जीते ही नहीं है। अपन तो हारने के लिए ही खेलते है। काहे गुस्सा हो रहे है मै आपको पुरा ब्योरा देता हुं। हम बस जीते है तो जिम्बाबें में, बंग्लादेश में और हां हाल ही में बेस्टइंडीज में वो भी पुरे तीन में से एक मैच जीते है जनाब! श्रीलंका पर श्रीलंका में पिछले 17 साल में फतह नहीं कर पाए है।रही बात आस्ट्रेलिया की तो, आस्ट्रेलिया में तो अब तक सीरीज जीते ही है नहीं है।यही हाल हमारा दक्षिण अफ्रीका में है। यहंा भी हम कोई सीरीज नहीं जीते है। हां, ये अलग बात है कि एक्का दुक्का मैच दक्षिण अफ्रीका की मेहरबानी से हम जरूर जीते है।

इंग्लैड में तो पिछली बार 2-0 से 1986 में जीते थे यानी पुरे 25 साल पहले। ये तो रिकार्ड है और रिकार्ड पर कोई आंच आए ये टीम इंडिया को कतई गवारा नहीं है। रिकार्ड तो रिकार्ड ठहरा, उसको क्यों तोड़े और वो भी अपने देशवासियों के खातिर ! भाई सवाल ही नहीं है।हमारी टीम तो पैसे के लिए खेलती है और टीम की हार हेा या फिर जीत, पैसा केाई धटता बढ़ता थोड़े ना है। ऐसे भी हमारा क्रिकेट बोर्ड दुनिया का सबसे धनवान बोर्ड ठहरा । हार से हमारी औकात में कोई कमी थोड़े ना आ जायेगी।

तो आप क्रिकेट देखिये ये सोचकर कि यह महज खेल है और हार जीत से खेल पर कोई असर ना हो। और अपनी टीम का सर्पोट करते जाइये, क्योंकि हमारे टीम में सचिन जैसे महान खिलाड़ी जो है। और अभी तो उनके बल्ले से महाशतक आना बाकी है। तो जीत और हार से परे सचिन के महाशतक का इंतजार कीजिए!



1 comment:

पंकज कुमार झा. said...

बिलकुल सही....सुन्दर विवेचन.
पंकज झा.