Nov 24, 2011

मंहगाई की मार का शिकार बने पवार


देष की 125 करोड़ आवाम महंगााई की मार झेलने पर विवश है।लेकिन इसका एहसास अगर किसी को नहीं है तो वो है हमारे सियासत दान।यही वो लोग है जिनकी नीति और करनी की कीमत आवाम को मंहगाई के रूप में चुकानी पड़ रही हैं।लेकिन इससे बेखबर लोकतंत्रातिक सरकार चलाने का दंभ भरने वाली मनमोहन सरकार लोकतंत्र के नाम पर लोगों की भावना से ही खिलवाड़ कर रही है।हालात इस कदर बेकाबू हो चला है कि आम आदमी भूख से भर रहा है तो मनमोहन सरकार के मंत्री इससे निपटने की बजाए हर दिन मंहगाई का तरका लगाने में जुटे हेै।नतीजा बडबोले कृशि मंत्री षरद पवार को एक नौजवान के गुस्से का आज दिल्ली में शिकार होना पड़ा।मंत्री महोदय जब मीडिया से बात करके आगे जैसे ही बढ़े हरबिंदर सिंह का नाम के शख्स ने जोरदार चांटा जड़ दिया।फिर क्या था एक के बाद एक नेता पवार के वचाव में आगे आ गए और इसकी निंदा करने लगे।लेकिन हकीकत यह है कि इस घटना के दोहराने का डर सभी नेताओं को सताने लगा हैं।
किसी भी लोकतांत्रिक देश में इस तरह की घटना को स्वीकार कतई नहीं किया जा सकता है। लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं हो सकता है कि मुल्क की जनता मुसीबत में हो और उनके नुमांइदे उसी आवाम से मुहमोड़ ले।तो ऐसे में दुनिया का सबसे बड़ा लेाकतांत्रिक देश की लोेकतांत्रिक प्रणाली पर सवाल उठना लाजिमी हैैं।आज अगर देश की लेाकतांत्रिक व्यवस्था पर सवाल खड़े हो रहे है तेा इसकी वजह भी हैै।समाजसेवी अन्ना हजारे उसी जनता के जरिये उस सरकार के लिए मुसबीत बने हुए है जिनकी नुमांइदगी मनमोहन सिंह की सरकार कर रही है।जिसकी बागडोर भले ही मनमोहन सिंह के हाथो में है लेकिन सत्ता सोनिया गांधी के इर्द गिर्द घुम रहा है।कायदे से मुल्क की जनता को अपनी मुसीबत सरकार के जरिये हल करने की उम्मीद करनी चाहिए थी। आज वही लोग अन्ना हजारे के जरिये सरकार को ही नहीं , पुरे राजनीतिक व्यवस्था को सबक सिखाने के मुड में है।इसका प्रदर्षन रामलीला मैदान के जरिये पुरी दुनिया ने देखा है।यानी व्यवस्था के अंदर किस तरह व्यवस्था को बदला जा सकता है ये अन्ना हजारे ने लोगों को रास्ता दिखा दिया है।वो भी हिंसा के जरिये नहीं, अहिंसा के जरिये।अन्ना, आज के दौर के महात्मा गांधी है क्योेंकि देश की आधी आवादी ने तो महात्मा गांधी को नहीं, अन्ना को आंदोलन करते देखा है।जिस हथियार का इस्तेमाल कर अन्ना मनमोहन सरकार की चुल हिला रहे है इसका इस्तेमाल महात्मा गांधी ने अंग्रेजो पर किया तो दुनिया के लिए अहिंसा का प्रतीक बन गए ।अन्ना इसी को नये सिरे से आगे बढ़ा रहे है।
लेनिक अब मामला ज्यादा खतरनाक मोड़ अख्तियार कर रहा है।लोगांे का धैर्य अब जवाब दे रहा है।भाईभतीजावाद से त्रस्त इस मुल्क में मंहगाई ने जिस तरह आमआदमी का कमर तोडा है इसका रूप इस तरह सामने आयेगा, ये न तेा मराठा छत्रप श रद पवार ने सोचा होगा और न ही महान अ़र्थषास्त्री का तमगा लेकर घुमने वाले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने।शायद आज की घटना मनमोहन सिंह को अर्थशास्त्र की नीति को नये सिरे से समझने के लिए विवश करे।सोचने का वक्त अब राजनेताओं को हैं।




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