Nov 13, 2008

"दादागिरी" अलविदा .........



सौरव चंडीदास गांगुली येही वो नाम है जो पिछले १२ सालो से करोडो देशवाशियों के सपनो के साथ सोते और जागते रहे है । लेकिन कहते है की हर युग का अंत होता है और सौरव गांगुली के युग का भी अंत हो गया .... वो भी दम्भी ऑस्ट्रेलिया पर जीत के साथ ... । अब सौरव गांगुली पर करोडो क्रिकेट प्रेमियों के सपनो को साकार करने का बोझ नही है जिसको पिछले १२ सालो से क्रिकेट के महाराज ढ़ोते रहे है ... यह जिम्मेदारी अब किसी और को निभानी है ....
नागपुर टेस्ट मैच जीतकर भारत ने न सिर्फ़ ऑस्ट्रेलिया के बादशाहत की गुरुर को तोडा बल्कि भारतीय क्रिकेट के सबसे बेहतरीन कैप्टेन में से एक सौरव चंडीदास गांगुली को जीत के साथ बिदाई दी । सौरव गांगुली जीत के साथ बिदाई के कितने हक़दार थे ....इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है की गांगुली ने ही भारतीय क्रिकेट को गर्त से निकल कर क्रिकेट के दुनिया में बेताज बादशाह के दरवाजे तक पहुचाया । सौरव गांगुली जिन्हें दुनिया दादा के नाम से भी जानती है ने टीम की बागडोर साल २००० में तब संभाली जब भारतीय क्रिकेट टीम बुरे दौर से गुजर रही थी और क्रिकेट में हार टीम का किस्मत बन गई थी । लेकिन तभी भारतीय क्रिकेट के छितिज पर एक ऐसा कैप्टेन आया जिसने पुरी तरह टूट चुकी टीम में न सिर्फ़ जीत का ज़ज्बा भरना था बल्कि टीम को जितना भी सिखाना था...... दादा की दादागिरी येही से शुरू हुयी ... भारतीय क्रिकेट टीम ने दादा के लीडरशिप में जो "दादागिरी" शुरू की वो क्रिकेट खेलने वाले दुनिया के हर देश में उसकी झलक दिखी । क्या साउथ अफ्रीका और क्या वेस्ट इंडीज़...क्या इंग्लैंड और क्या ऑस्ट्रेलिया दादा ने इन देशो खूब भारत की दादागिरी दिखाई .... इतना ही नही क्रिकेट खेलने वाले देशो को सौरव गांगुली ने ही बताया की भारत हारने के लिए नही बल्कि बिपक्झी टीम का धुर्रे उराने के लिए आई है .... दादा ने ही टीम को सिखाया की सामने वाली टीम के आख में आख डालकर बात किया जाती है कन्धा झुका कर नही .... ये मूलमंत्र भारतीय टीम के लिए बरदान साबित हुयी .....अश्वमेध के रथ पर सबार हो कर जब वर्ल्ड चैम्पियन टीम ऑस्ट्रेलिया २००१ में भारत के दौरे पर आई तो उस रथ को दादा ने अपने दादागिरी से कोलकाता के एडेन गार्डन में रोक दिया ....ऑस्ट्रेलिया का विजय रथ क्या रुका भारत ने ऑस्ट्रेलिया को २-१ से धो कर भारत से रबाना किया । इसी सीरीज़ में सौरव गांगुली ने स्टीव वा को टॉस के लिए जहा इंतजार करबाया वोही ऑस्ट्रेलिया को उसी की भाषा में मैदान में जबाब देकर टीम के तेबर को दिखाया की अब इंडियन क्रिकेट टीम वो टीम नही जो गेंद और बल्ले के साथ जबाब देना तो जानती है लेकिन जुबान से नही । फिर क्या था दादा कहा रुकने वाले भारत ने जब नेटवेस्ट ट्राफी जीती तो दादा ने क्रिकेट के मक्का कहे जाने वाले इंग्लैंड के लार्ड्स की बालकनी से टी शर्ट उतार कर दुनिया जीत की खुशी मानाने का नया अंदाज़ सिखाया । दादा सिर्फ़ एक अच्छे कप्तान ही नही बल्कि एक ताबरतोड़ बल्लेबाज भी थे ... उनके बल्ले की गूंज का आलम ये था की दुनिया आपको ऑफ़ साइड का भगवान् कहती थी यानि दादा को ऑफ़ साइड में गेंद मिली नही की गोली की रफ्तार में गेंद बाउंड्री लाइन के बाहर नज़र आती थी... लेकिन इन सब के बीच दादा के १२ साल के क्रिकेट करियर का सफर मुस्किल से भरा भी था। जिस तरह बीसीसीआई को दुनिया में खास पहचान बनबाने में जग्गू दादा यानि जगमोहन डालमिया की भूमिका जगजाहिर है और फिर सियासी खेल में मात खाने के बाद जग्गू दादा को बाहर का रास्ता पकड़ने को मजबूर होना .......उसी तरह सौरव गांगुली को भी अपनी टीम को बुलंदियों पर पहुचाने के बाद उन्हें भी काफी हद तक बियाबान में धकेल दिया गया या यु कहे की क्रिकेट को अलविदा कहने के लिए मजबूर होना पड़ा ..... यानि दादा भी देश की गन्दी राजनीती की भेट चढ़ गए । लेकिन योधा तो योधा होता है और वो अपनी पहचान कभी नही खोता ऐसे में दादा भी अपना पहचान कैसे खोते । उन्होनो फ़ैसला कर लिया इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा कहने का ......और १२ सालो से चला आ रहा सफर नागपुर में देश जीत के साथ साथ आखरी समय में भारत की कप्तानी करते हुए खत्म हो गया .....
दादा की क्रिकेट के मैदान पर भले ही दादागिरी खत्म हो गई हो, लेकिन देश में क्रिकेट को नई बुलंदियों तक पहुचाने और अपने बल्ले का जौहर से करोडो भारत वाशियों का मनोरंजन करने के लिए इस नायक को देश वाशी शायद ही भुला पाए ....
दादा आप भले ही क्रिकेट के मैदान से दूर हो गए हो लेकिन देशवाशियों के दिल से नही ... जीत का जसेन्न मनाने का आपका अंदाज़ क्रिकेट प्रेमियों के दिलो में हमेश जिबंत बना रहेगा । दादा क्रिकेट वर्ल्ड आपके योगदान को उस समय तक याद रखेगा जब तक दुनिया में क्रिकेट का नाम रहेगा ... । आपके कारनामे आज की तरह ही आने वाले दिनों में वो हर पल रोमांचित करते रहेंगे जिसे आपने देशवाशियों को १२ सालो तक क्रिकेट खेलते हुए दिया है .... यकीनन कहा जा सकता है आप देशवाशियों के दिलो में हमेशा एक याद बन लोगो के दिलो पर राज करते रहेंगे ॥ भारत का युवा कप्तान महेंद्र सिंह धोनी अपने कप्तानी में आपकी छबि तलाश रहा है लेकिन दुनिया जानती है की छबि हकीकत नही होती ...महज एक पर्तिबिम्ब होती है .....येही आपकी जीत है .....और येही आपका भारतीय क्रिकेट में योगदान भी .......

1 comment:

AAA said...

wah amit jee kamaal hai----waise agar cricket el gentleman game hai toh dada ki dadagiri kehna thik nahi----lekin ganguly ki personality aisi thi ki aacha laga---Ganguly aache the ya nahi is par unke vida hine tak sawaal hote rahe----lekin unhone kabhi iski parwah nahi ki aur team india ki sewa karte rahe aor ish wajah se unhe hamesha yaad kiya jayega